आकाश
जिसमे अपनी नाव चलाता ,
दिन भर सूरज चमकीला |
और रात में तारों को ले ,
चन्द्र जहाँ करता लीला |
जिसकी गोदी में शिशु हाथी ,
सा फिरता बादल गीला |
हिलती हरियाली के ऊपर ,
छाया जो नीला नीला |
वह ही है आकाश बालकों ,
जिसका है कुछ ओर न छोर |
गर्व बड़प्पन का हो जिसको,
पहले देखे उसकी ओर |
जिसमे अपनी नाव चलाता ,
दिन भर सूरज चमकीला |
और रात में तारों को ले ,
चन्द्र जहाँ करता लीला |
जिसकी गोदी में शिशु हाथी ,
सा फिरता बादल गीला |
हिलती हरियाली के ऊपर ,
छाया जो नीला नीला |
वह ही है आकाश बालकों ,
जिसका है कुछ ओर न छोर |
गर्व बड़प्पन का हो जिसको,
पहले देखे उसकी ओर |
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