-बेवकूफ गुड़िया-
ऊब गई हूँ गुड़िया से मैं ,
कहा नहीं यह करती है |
कितना ही आँखे दिखलाऊँ ,
कुछ भी किन्तु न डरती है |
नहीं शहूर जरा भी इसको ,
कहने को है पढ़ी लिखी |
कल दुपहर जब खाने बैठी ,
कपड़ों पर ली गिरा कढ़ी |
पड़ा मुझी को धोना उनको ,
बड़ी दूर से टब लाकर |
पास उसी के लकड़ी पर वह ,
गुड़िया भी बैठी आकर |
जब मैं कपड़े लगी सुखाने ,
छप छप कुछ बोला जल में |
पीछे फिर कर देखा तो ,
पाया उसको गायब पल में |
भीग गई रेशम की साड़ी ,
गालों पर काजल फैला |
मैले पानी में डुबकी खा ,
सारा बदन हुआ मैला |
मर जाती यदि दौड़ न मुन्नी ,
खींच उसे लेती टब से |
देखो इस गुड़िया के पीछे ,
परेशान हूँ मैं कब से |
ऊब गई हूँ गुड़िया से मैं ,
कहा नहीं यह करती है |
कितना ही आँखे दिखलाऊँ ,
कुछ भी किन्तु न डरती है |
नहीं शहूर जरा भी इसको ,
कहने को है पढ़ी लिखी |
कल दुपहर जब खाने बैठी ,
कपड़ों पर ली गिरा कढ़ी |
पड़ा मुझी को धोना उनको ,
बड़ी दूर से टब लाकर |
पास उसी के लकड़ी पर वह ,
गुड़िया भी बैठी आकर |
जब मैं कपड़े लगी सुखाने ,
छप छप कुछ बोला जल में |
पीछे फिर कर देखा तो ,
पाया उसको गायब पल में |
भीग गई रेशम की साड़ी ,
गालों पर काजल फैला |
मैले पानी में डुबकी खा ,
सारा बदन हुआ मैला |
मर जाती यदि दौड़ न मुन्नी ,
खींच उसे लेती टब से |
देखो इस गुड़िया के पीछे ,
परेशान हूँ मैं कब से |
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