-सेना के जवान-
शीश उठाये सीना ताने ,
वर्दी में लग रहे सुहाने |
स्वस्थ प्रसन्न वीर मतवाले ,
कन्धों पर बन्दूक संभाले |
कदम मिलाते कदम बढ़ाते ,
बीच बीच में बैंड बजाते |
सेना के जवान जाते हैं ,
हमें बहुत ही ये भाते हैं |
दोनो ओर सड़क पर भारी ,
भीड़ लगायें हैं नर नारी |
उन्हें बधाई देते हैं सब ,
बजा बजा कर ताली जब तब |
भारत की सीमा विशाल है ,
कहीं चढ़ाई कहीं ढाल है |
दुर्गम घाटी ऊँचे टीले ,
मीलों मार्ग कठिन बर्फीले |
वहाँ आ डटा है जो दुश्मन ,
चाह रहा औ करे आक्रमण |
बढे वहाँ तक जायेंगे ये ,
उस को मार भगायेंगे ये |
हम तो अभी निरे हैं बालक ,
लेकिन देश भक्त प्रण पालक |
सीख रहे हैं शस्त्र चलाना ,
कदम मिलाना ,कदम बढ़ाना |
और बड़े कुछ हो जाने पर ,
हम भी वीर सिपाही बनकर ,
इसी तरह से मार्च करेंगे ,
अगर पुन: दुश्मन उभरेंगे |
शीश उठाये सीना ताने ,
वर्दी में लग रहे सुहाने |
स्वस्थ प्रसन्न वीर मतवाले ,
कन्धों पर बन्दूक संभाले |
कदम मिलाते कदम बढ़ाते ,
बीच बीच में बैंड बजाते |
सेना के जवान जाते हैं ,
हमें बहुत ही ये भाते हैं |
दोनो ओर सड़क पर भारी ,
भीड़ लगायें हैं नर नारी |
उन्हें बधाई देते हैं सब ,
बजा बजा कर ताली जब तब |
भारत की सीमा विशाल है ,
कहीं चढ़ाई कहीं ढाल है |
दुर्गम घाटी ऊँचे टीले ,
मीलों मार्ग कठिन बर्फीले |
वहाँ आ डटा है जो दुश्मन ,
चाह रहा औ करे आक्रमण |
बढे वहाँ तक जायेंगे ये ,
उस को मार भगायेंगे ये |
हम तो अभी निरे हैं बालक ,
लेकिन देश भक्त प्रण पालक |
सीख रहे हैं शस्त्र चलाना ,
कदम मिलाना ,कदम बढ़ाना |
और बड़े कुछ हो जाने पर ,
हम भी वीर सिपाही बनकर ,
इसी तरह से मार्च करेंगे ,
अगर पुन: दुश्मन उभरेंगे |
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