दिन
कैसा है देखो सुंदर दिन |
जो चाहे सब सकते हो गिन||
आंखे लख सकतीं हरियाली|
फूल तोड़ सकता है माली ||
चाहे जहाँ अकेले जाओ |
खेलो, खाओ, पढ़ो पढ़ाओ ||
नहीं किसी का अब कुछ डर है|
सारा जग अपना ही घर है ||
सड़कों पर कोलाहल छाया |
यह लो एक मदारी आया||
बजा रहा है डमरू डम डम |
नचा रहा है भालू छम छम ||
मंदिर में हैं डटे पुजारी |
भीड़ मदरसे में है भारी ||
खुले दुकानों के हैं ताले |
चीख रहे हैं फेरीवाले ||
कौवे कां कां बोल रहे हैं |
कुत्ते बिल्ली डोल रहे हैं ||
अम्मा काढ़ रही हैं जाली |
आ बैठी है चूड़ी वाली ||
अंधकार जो था अति छाया |
जिसने हमसे जगत छिपाया||
देखो बन कर वही उजाला |
दिखलाता है दृश्य निराला ||
तितली और पतंगे प्यारे|
चींटी चिड़ियाँ भौरें कारे ||
लगे काम में हैं सब अपने |
नहीं देखता कोई सपने ||
बच्चों , तुम भी काम करो कुछ |
दिन में मत आराम करो कुछ ||
इसीलिये है चतुर विधाता |
दिन का सुंदर समय बनता ||
कैसा है देखो सुंदर दिन |
जो चाहे सब सकते हो गिन||
आंखे लख सकतीं हरियाली|
फूल तोड़ सकता है माली ||
चाहे जहाँ अकेले जाओ |
खेलो, खाओ, पढ़ो पढ़ाओ ||
नहीं किसी का अब कुछ डर है|
सारा जग अपना ही घर है ||
सड़कों पर कोलाहल छाया |
यह लो एक मदारी आया||
बजा रहा है डमरू डम डम |
नचा रहा है भालू छम छम ||
मंदिर में हैं डटे पुजारी |
भीड़ मदरसे में है भारी ||
खुले दुकानों के हैं ताले |
चीख रहे हैं फेरीवाले ||
कौवे कां कां बोल रहे हैं |
कुत्ते बिल्ली डोल रहे हैं ||
अम्मा काढ़ रही हैं जाली |
आ बैठी है चूड़ी वाली ||
अंधकार जो था अति छाया |
जिसने हमसे जगत छिपाया||
देखो बन कर वही उजाला |
दिखलाता है दृश्य निराला ||
तितली और पतंगे प्यारे|
चींटी चिड़ियाँ भौरें कारे ||
लगे काम में हैं सब अपने |
नहीं देखता कोई सपने ||
बच्चों , तुम भी काम करो कुछ |
दिन में मत आराम करो कुछ ||
इसीलिये है चतुर विधाता |
दिन का सुंदर समय बनता ||
0 comments:
Post a Comment