सबेरा
हुआ सबेरा ऑंखें खोलो,
बुला रहीं हैं चिड़ियाँ बोलो|
कहता है पिंजड़े से तोता,
अरे,कौन है अब तक सोता|
उठ मेरे नैनों के तारे,
सब के प्यारे राजदुलारे |
आंगन मे कौवे आयें हैं ,
लख तो तुझको क्या लाये हैं|
कैसी सुंदर घास हरी है,
उसमें कैसी ओस भरी है|
मानों हरी बिछी हो धोती,
सिले सैकड़ों जिसमें मोती|
तालाबों में कमल गये खिल,
रहे हवा के झोंकों से हिल|
भौंरें उन पर घूम रहे हैं ,
झूम झूम मुख चूम रहे हैं |
जगीं मछलियाँ जल के भीतर ,
बगुले बैठे ध्यान लगा कर|
घर से चले नहानेवाले ,
जगे पुजारी खुले शिवाले|
घाम सुनहला छत पर छाया ,
बाबा जी ने शंख बजाया|
फूल तोड़ कर लाया माली,
गाय गई चरने हरियाली |
सड़कों पर न रहा सन्नाटा,
नौकर गया पिसाने आटा|
इक्के, बग्घी, टमटम ,मोटर ,
लगे दौड़ने इधर से उधर|
हलवाई ने आग जलाई ,
बनी जलेबी ताजी भाई|
लड़के सब जाते हैं पढ़ने ,
लगा ठठेरा लोटा गढ़ने |
चम चम चमक रही सुखदाई ,
गमले पर लख तितली आई|
जगा रही माँ उठ ,आलस तज,
छप्पर पर आ बैठा सूरज |
हुआ सबेरा ऑंखें खोलो,
बुला रहीं हैं चिड़ियाँ बोलो|
कहता है पिंजड़े से तोता,
अरे,कौन है अब तक सोता|
उठ मेरे नैनों के तारे,
सब के प्यारे राजदुलारे |
आंगन मे कौवे आयें हैं ,
लख तो तुझको क्या लाये हैं|
कैसी सुंदर घास हरी है,
उसमें कैसी ओस भरी है|
मानों हरी बिछी हो धोती,
सिले सैकड़ों जिसमें मोती|
तालाबों में कमल गये खिल,
रहे हवा के झोंकों से हिल|
भौंरें उन पर घूम रहे हैं ,
झूम झूम मुख चूम रहे हैं |
जगीं मछलियाँ जल के भीतर ,
बगुले बैठे ध्यान लगा कर|
घर से चले नहानेवाले ,
जगे पुजारी खुले शिवाले|
घाम सुनहला छत पर छाया ,
बाबा जी ने शंख बजाया|
फूल तोड़ कर लाया माली,
गाय गई चरने हरियाली |
सड़कों पर न रहा सन्नाटा,
नौकर गया पिसाने आटा|
इक्के, बग्घी, टमटम ,मोटर ,
लगे दौड़ने इधर से उधर|
हलवाई ने आग जलाई ,
बनी जलेबी ताजी भाई|
लड़के सब जाते हैं पढ़ने ,
लगा ठठेरा लोटा गढ़ने |
चम चम चमक रही सुखदाई ,
गमले पर लख तितली आई|
जगा रही माँ उठ ,आलस तज,
छप्पर पर आ बैठा सूरज |
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