बसंत
आया बच्चों ,बसंत आया|
सब पेड़ों में फूल फुलाया ||
फिर से नई हुई हरियाली|
दुल्हिन सी लचकी तरु डाली||
भौंरों के दल के दल आये |
संग में मधु -मक्खियाँ लिवाये||
मस्त हुयें हैं सब भन भन में|
बंशी सी बजती है वन में ||
कूक रही है कोयल काली|
बजा रहें हैं लड़के ताली ||
और कूक वैसी ही भरते |
खूब नकल कोयल की करते||
मह मह गलियां महक रही हैं |
चह चह चिड़ियाँ चहक रही हैं ||
बढ़ी उमंगें सब के मन में|
दूना बल आया है तन में ||
हे बसन्त ,ऋतुओं के राजा |
मुझको इतनी बात सिखा जा||
नित मैं फूलों सा मुस्काऊं |
सुख से सब का मन बहलाऊं ||
आया बच्चों ,बसंत आया|
सब पेड़ों में फूल फुलाया ||
फिर से नई हुई हरियाली|
दुल्हिन सी लचकी तरु डाली||
भौंरों के दल के दल आये |
संग में मधु -मक्खियाँ लिवाये||
मस्त हुयें हैं सब भन भन में|
बंशी सी बजती है वन में ||
कूक रही है कोयल काली|
बजा रहें हैं लड़के ताली ||
और कूक वैसी ही भरते |
खूब नकल कोयल की करते||
मह मह गलियां महक रही हैं |
चह चह चिड़ियाँ चहक रही हैं ||
बढ़ी उमंगें सब के मन में|
दूना बल आया है तन में ||
हे बसन्त ,ऋतुओं के राजा |
मुझको इतनी बात सिखा जा||
नित मैं फूलों सा मुस्काऊं |
सुख से सब का मन बहलाऊं ||
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