सुनहली और काली
चन्दा तारे, सभी सिधारे,
आसमान कर खाली |
हुआ सवेरा ,मिटा अँधेरा ,
पूरब छाई लाली ||
कहीं रुपहली ,कहीं सुनहली ,
तन उषा ने जाली |
दसों दिशा की ,घोर निशा की,
सब कालिमा चुरा ली ||
पड़ी दिखाई ,अति मन भाई,
लची फूल से डाली |
लगीं बोलने , वहीँ डोलने ,
उठ चिड़ियाँ मतवाली ||
उषा रानी ,सुभग सयानी ,
निकली ले दो थाली |
जगे हुओं को मिली सुनहली ,
सुप्त पड़ों को काली ||
चन्दा तारे, सभी सिधारे,
आसमान कर खाली |
हुआ सवेरा ,मिटा अँधेरा ,
पूरब छाई लाली ||
कहीं रुपहली ,कहीं सुनहली ,
तन उषा ने जाली |
दसों दिशा की ,घोर निशा की,
सब कालिमा चुरा ली ||
पड़ी दिखाई ,अति मन भाई,
लची फूल से डाली |
लगीं बोलने , वहीँ डोलने ,
उठ चिड़ियाँ मतवाली ||
उषा रानी ,सुभग सयानी ,
निकली ले दो थाली |
जगे हुओं को मिली सुनहली ,
सुप्त पड़ों को काली ||
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