-गंगा की बाढ़ -
आ गई बाढ़ -आ गई बाढ़ ,
गंगा जी में आ गई बाढ़ |
सावन -घन तुमड़ी बजा रहा ,
अजगर -नद निज फन रहा काढ़ |
वह लील रहा मैदान रेत ,
वह लील रहा बन बाग खेत |
वह लील रहा है ग्राम नगर ,
बढ़ता आता ज्यों विकट प्रेत |
बह चले मूल से उखड़ पेड़ ,
बह चलीं फेन के सदृश्य मेड़ |
फैला मटमैला जल भू पर ,
हैं टूट गए सब बांध मेड़ |
बह रहे विविध झंकाड़ झाड़ ,
चौकियां खाट छप्पर किवाड़ |
अनुमान न कोई कर सकता ,
बस्तियां हुईं कितनी उजाड़ |
दुखियों का हरने कष्ट क्लेश ,
तैयार हो गया पूर्ण देश ,
धन ,अन्न ,नाव ,औषधि बचाव ,
का, सुखी हुये सब, पा सन्देश |
आ गई बाढ़ -आ गई बाढ़ ,
गंगा जी में आ गई बाढ़ |
सावन -घन तुमड़ी बजा रहा ,
अजगर -नद निज फन रहा काढ़ |
वह लील रहा मैदान रेत ,
वह लील रहा बन बाग खेत |
वह लील रहा है ग्राम नगर ,
बढ़ता आता ज्यों विकट प्रेत |
बह चले मूल से उखड़ पेड़ ,
बह चलीं फेन के सदृश्य मेड़ |
फैला मटमैला जल भू पर ,
हैं टूट गए सब बांध मेड़ |
बह रहे विविध झंकाड़ झाड़ ,
चौकियां खाट छप्पर किवाड़ |
अनुमान न कोई कर सकता ,
बस्तियां हुईं कितनी उजाड़ |
दुखियों का हरने कष्ट क्लेश ,
तैयार हो गया पूर्ण देश ,
धन ,अन्न ,नाव ,औषधि बचाव ,
का, सुखी हुये सब, पा सन्देश |
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