-सहपाठा -
एक देश में जन्मे हैं सब ,
एक लहू है सबके तन में |
एक तरह से हँसते हैं सब ,
मुख तो देखो दर्पन में |
एक चाँद मामा है सबका ,
एक तरह का माँ का प्यार |
आँसू एक निकलता सबके ,
जब देता है कोई मार |
कहलाते हैं हम सब बच्चे ,
चितवन सबकी एक समान |
एक मदरसे में पढ़ते हैं ,
एक गुरु से एक जबान |
धनी निर्धनी ऊँच नीच का ,
भेदभाव तब क्यों मानें?
अपने साथी को अपने से,
घट कर क्यों मन में जानें ?
अपना और पराया कैसा ?
यहाँ सभी हैं अपने लोग |
भेद भाव से भागो भाई ,
समझो इसको भारी रोग |
जो सुख हमको मिला हुआ है ,
वह सब को पहुँचायेंगे |
अगर नहीं तो सबके दुःख में ,
शामिल हो सुख पाएंगें |
एक देश में जन्मे हैं सब ,
एक लहू है सबके तन में |
एक तरह से हँसते हैं सब ,
मुख तो देखो दर्पन में |
एक चाँद मामा है सबका ,
एक तरह का माँ का प्यार |
आँसू एक निकलता सबके ,
जब देता है कोई मार |
कहलाते हैं हम सब बच्चे ,
चितवन सबकी एक समान |
एक मदरसे में पढ़ते हैं ,
एक गुरु से एक जबान |
धनी निर्धनी ऊँच नीच का ,
भेदभाव तब क्यों मानें?
अपने साथी को अपने से,
घट कर क्यों मन में जानें ?
अपना और पराया कैसा ?
यहाँ सभी हैं अपने लोग |
भेद भाव से भागो भाई ,
समझो इसको भारी रोग |
जो सुख हमको मिला हुआ है ,
वह सब को पहुँचायेंगे |
अगर नहीं तो सबके दुःख में ,
शामिल हो सुख पाएंगें |
0 comments:
Post a Comment