-जंगल में क्या होता है-
कोई मुझसे बतलाओ रे जंगल में क्या होता है |
कब उठता सो कर वनमानुष और हाथ मुँह धोता है ?
मनमाने सब काम वहां हैं जब जी में आये जागो |
अगर सामने दुश्मन आये मार भगाओ या भागो |
हरियाली देती है भोजन ताल पिलाते हैं पानी |
जी चाहे तो कर सकते हो वहाँ रात दिन शैतानी |
चूहे सदा चुरा के खाते पाप न चोरी को कहते |
नहीं अदालत नहीं सिपाही और नहीं राजा रहते |
घने बनों में ताल किनारे बारहसिंघा क्या करता ?
निर्जनता में नहीं जरा क्यों भूत प्रेत से वह डरता ?
कारण वही बता सकता है जिसने देखा हो जंगल |
मैं तो लिखता हूँ यह कविता दिल बहलाने को केवल |
शेर बलि है बेशक सबसे मार मृगों को खाता है |
सुन कर उसकी विकट गर्जना सब जंगल थर्राता है|
पर वह रहता सदा अकेला मेला नहीं लगाता है |
सेना नहीं खड़ी करता है महल नहीं उठवाता है |
बस्ती में जो बकरी रहती वह सदैव काटी जाती |
पर जंगल की बकरी पर इस तरह नहीं आफत आती |
अगर भेड़िये पीछा करते टीले पर चढ़ जाती वह |
बस्ती से जादा जंगल में अपनी जान बचाती वह |
राजपाट या सड़क नहीं है तोप नहीं तलवार नहीं |
धर्म नहीं कानून नहीं है शहर नहीं व्यापार नहीं |
फिर जंगल में क्या होता है अजी सदा रहती हलचल |
स्काउट बन पहुँचो वन में देखो जंगल का मंगल |
कोई मुझसे बतलाओ रे जंगल में क्या होता है |
कब उठता सो कर वनमानुष और हाथ मुँह धोता है ?
मनमाने सब काम वहां हैं जब जी में आये जागो |
अगर सामने दुश्मन आये मार भगाओ या भागो |
हरियाली देती है भोजन ताल पिलाते हैं पानी |
जी चाहे तो कर सकते हो वहाँ रात दिन शैतानी |
चूहे सदा चुरा के खाते पाप न चोरी को कहते |
नहीं अदालत नहीं सिपाही और नहीं राजा रहते |
घने बनों में ताल किनारे बारहसिंघा क्या करता ?
निर्जनता में नहीं जरा क्यों भूत प्रेत से वह डरता ?
कारण वही बता सकता है जिसने देखा हो जंगल |
मैं तो लिखता हूँ यह कविता दिल बहलाने को केवल |
शेर बलि है बेशक सबसे मार मृगों को खाता है |
सुन कर उसकी विकट गर्जना सब जंगल थर्राता है|
पर वह रहता सदा अकेला मेला नहीं लगाता है |
सेना नहीं खड़ी करता है महल नहीं उठवाता है |
बस्ती में जो बकरी रहती वह सदैव काटी जाती |
पर जंगल की बकरी पर इस तरह नहीं आफत आती |
अगर भेड़िये पीछा करते टीले पर चढ़ जाती वह |
बस्ती से जादा जंगल में अपनी जान बचाती वह |
राजपाट या सड़क नहीं है तोप नहीं तलवार नहीं |
धर्म नहीं कानून नहीं है शहर नहीं व्यापार नहीं |
फिर जंगल में क्या होता है अजी सदा रहती हलचल |
स्काउट बन पहुँचो वन में देखो जंगल का मंगल |
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