हिमालय
लखो हिमालय है क्या लेटा |
हो मानो पृथ्वी का बेटा ||
यदि वैसा तुम भी तन पाते |
तो किस तरह मदरसे जाते||
यह कॉलेज में पढ़ा नहीं है|
मोटर पर भी चढ़ा नहीं है ||
पर मूरख न इसे कह देना |
बच्चों इससे शिक्षा लेना ||
बड़ी बलि है इसकी छाती |
जो गंगा की धार बहाती ||
जिसमे हैं हम नाव चलाते |
जिसमे हैं हम खूब नहाते ||
बादल इसमें अड़ जाते हैं |
मनमाना जल बरसाते हैं ||
जिससे होती खेती बारी |
खाते हम पूरी तरकारी ||
दुश्मन इसे देख डर जाते |
बल का इसके पार न पाते ||
पहरेदार हमारा है यह |
कहो न किसको प्यारा है यह ||
घोर घटा सा खड़ा हुआ है |
महाबली सा अड़ा हुआ है ||
सेवा करना इससे सीखो |
कभी न डरना इससे सीखो ||
लखो हिमालय है क्या लेटा |
हो मानो पृथ्वी का बेटा ||
यदि वैसा तुम भी तन पाते |
तो किस तरह मदरसे जाते||
यह कॉलेज में पढ़ा नहीं है|
मोटर पर भी चढ़ा नहीं है ||
पर मूरख न इसे कह देना |
बच्चों इससे शिक्षा लेना ||
बड़ी बलि है इसकी छाती |
जो गंगा की धार बहाती ||
जिसमे हैं हम नाव चलाते |
जिसमे हैं हम खूब नहाते ||
बादल इसमें अड़ जाते हैं |
मनमाना जल बरसाते हैं ||
जिससे होती खेती बारी |
खाते हम पूरी तरकारी ||
दुश्मन इसे देख डर जाते |
बल का इसके पार न पाते ||
पहरेदार हमारा है यह |
कहो न किसको प्यारा है यह ||
घोर घटा सा खड़ा हुआ है |
महाबली सा अड़ा हुआ है ||
सेवा करना इससे सीखो |
कभी न डरना इससे सीखो ||
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