वर्षा की बूंदें
बड़ी बड़ी बूंदें पड़ती हैं ,
बड़ा मजा है बड़ा मजा |
जल्दी निकलो घर से बाहर ,
बड़ा मजा है बड़ा मजा ||
दल के दल दौड़े आते हैं ,
देखो बादल के कैसे |
छुट्टी का घंटा बजते ही ,
भगते हैं लड़के जैसे ||
डाली डाली पर पेड़ों की,
नाच रही है हरियाली |
खुश हो मुन्नी बजा रही है ,
अपनी छत पर से ताली ||
पूंछ उठा कर दौड़ रही हैं ,
घीसू की तीनों गायें |
इस चबूतरे पर चढ़ आओ ,
यहाँ भी न वे आ जायें ||
कैसी ठंडी हवा बही है ,
कैसा समय निराला है |
देखो उस ऊँचे पीपल में ,
किसने झूला डाला है ||
सूरज का न पता चलता है ,
कैसा बढ़ा अँधेरा है |
खूब घुमड़ कर आज घनो ने ,
आसमान को घेरा है ||
अरे सुनो तो कैसी प्यारी ,
बोली बोल रहा है मोर |
आओ हम भी दौड़ चलें अब ,
फौरन उसी बाग की ओर |
ओहो भाई भागो भागो ,
लगा बरसने पानी अब |
पेड़ तले बच नहीं सकेंगे ,
कपड़े भीग जायेंगे सब ||
बड़ी बड़ी बूंदें पड़ती हैं ,
बड़ा मजा है बड़ा मजा |
जल्दी निकलो घर से बाहर ,
बड़ा मजा है बड़ा मजा ||
दल के दल दौड़े आते हैं ,
देखो बादल के कैसे |
छुट्टी का घंटा बजते ही ,
भगते हैं लड़के जैसे ||
डाली डाली पर पेड़ों की,
नाच रही है हरियाली |
खुश हो मुन्नी बजा रही है ,
अपनी छत पर से ताली ||
पूंछ उठा कर दौड़ रही हैं ,
घीसू की तीनों गायें |
इस चबूतरे पर चढ़ आओ ,
यहाँ भी न वे आ जायें ||
कैसी ठंडी हवा बही है ,
कैसा समय निराला है |
देखो उस ऊँचे पीपल में ,
किसने झूला डाला है ||
सूरज का न पता चलता है ,
कैसा बढ़ा अँधेरा है |
खूब घुमड़ कर आज घनो ने ,
आसमान को घेरा है ||
अरे सुनो तो कैसी प्यारी ,
बोली बोल रहा है मोर |
आओ हम भी दौड़ चलें अब ,
फौरन उसी बाग की ओर |
ओहो भाई भागो भागो ,
लगा बरसने पानी अब |
पेड़ तले बच नहीं सकेंगे ,
कपड़े भीग जायेंगे सब ||
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