माता का लाल
दीन दुखी जन की पुकार पर ,
जो नित कदम बढ़ता है |
भूखा देख साथियों को निज ,
जो भूखा रह जाता है ||
अंधों को मौका पड़ने पर,
जो उँगली पकड़ाता है |
रोती आँखे देख आंख में ,
जिसके जल भर आता है ||
जो न कभी भय खाता है ,
खड़ा क्यों न हो सम्मुख काल |
कहलाता है वही जगत में ,
दयामती माता का लाल ||
दीन दुखी जन की पुकार पर ,
जो नित कदम बढ़ता है |
भूखा देख साथियों को निज ,
जो भूखा रह जाता है ||
अंधों को मौका पड़ने पर,
जो उँगली पकड़ाता है |
रोती आँखे देख आंख में ,
जिसके जल भर आता है ||
जो न कभी भय खाता है ,
खड़ा क्यों न हो सम्मुख काल |
कहलाता है वही जगत में ,
दयामती माता का लाल ||
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