मेरे घर जो आती बिल्ली ,
है वह बच्चों ,बड़ी चिबिल्ली |
जाने निकल कहाँ से आती ?
चप --चप दूध धरा पी जाती |
दौड़ दौड़ हम सब थक जाते ,
कोई उसको पकड़ न पाते |
दूध दही सब जूठा करती ,
नहीं किसी से है वह डरती |
चुपके -चुपके आती जाती ,
पकड़ -पकड़ चूहों को खाती |
ऊधम बहुत मचाती है वह ,
सब को नाच नचाती है वह ||
जायेगी यदि पकड़ चिबिल्ली ,
अम्मा भिजवा देगी दिल्ली ,
वहाँ चाँदनी चौक सड़क में ,
खेलेगी यह डंडा --गिल्ली ||
(शिशु मार्च १९२७ )
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