- वीर न अपनी बान छोड़ते -
सूरज अपनी चमक छोड़ दे ,
तो कैसे हो दूर अँधेरा ?
धरती पर सब पेड़ पड़ रहें ,
तो चिड़ियाँ लें कहाँ बसेरा ?
दूध लगे यदि खारा होने ,
तो कैसे माँ प्यार दिखावे ?
आग अगर तज दे गरमाहट ,
रोटी कैसे कौन पकावे ?
तजते नहीं स्वभाव उच्च जन ,
पर सेवा से मुहं न मोड़ते ,
लाख मुसीबत मिले मार्ग में ,
वीर न अपनी बान छोड़ते |
सूरज अपनी चमक छोड़ दे ,
तो कैसे हो दूर अँधेरा ?
धरती पर सब पेड़ पड़ रहें ,
तो चिड़ियाँ लें कहाँ बसेरा ?
दूध लगे यदि खारा होने ,
तो कैसे माँ प्यार दिखावे ?
आग अगर तज दे गरमाहट ,
रोटी कैसे कौन पकावे ?
तजते नहीं स्वभाव उच्च जन ,
पर सेवा से मुहं न मोड़ते ,
लाख मुसीबत मिले मार्ग में ,
वीर न अपनी बान छोड़ते |
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