-चीन का सौदागर -
एक चीन का सौदागर था ,
बहुत बड़ी थी उसकी चोटी|
उसे लपेट लपेट कमर पर ,
था वह लेता लगा लंगोटी |
उस चोटी में फंस फंस करके ,
गिर जाते थे अगणित राही |
इससे सड़कों पर चलने की ,
थी उसको हो गई मनाही |
पर वह घर में बैठे बैठे ,
भी उत्पात मचाता था |
फंस कर गिरते वायुयान थे ,
चोटी अगर उड़ाता था |
उसका लड़का चतुर बड़ा था ,
था उसने मन में ठाना |
खुल सकता है इस चोटी ,
के , बल पर बड़ा कारखाना |
बस वह बोला मौका पाकर ,
बप्पा मानो मेरी बात |
कम्बल लोई और दुशाले ,
क्यों न बनायें हम दिन रात |
बात चतुर बेटे की फ़ौरन ,
बूढ़े सौदागर ने मानी |
चोटी का वह सेठ कहाया ,
दूर हूई उसकी हैरानी |
एक चीन का सौदागर था ,
बहुत बड़ी थी उसकी चोटी|
उसे लपेट लपेट कमर पर ,
था वह लेता लगा लंगोटी |
उस चोटी में फंस फंस करके ,
गिर जाते थे अगणित राही |
इससे सड़कों पर चलने की ,
थी उसको हो गई मनाही |
पर वह घर में बैठे बैठे ,
भी उत्पात मचाता था |
फंस कर गिरते वायुयान थे ,
चोटी अगर उड़ाता था |
उसका लड़का चतुर बड़ा था ,
था उसने मन में ठाना |
खुल सकता है इस चोटी ,
के , बल पर बड़ा कारखाना |
बस वह बोला मौका पाकर ,
बप्पा मानो मेरी बात |
कम्बल लोई और दुशाले ,
क्यों न बनायें हम दिन रात |
बात चतुर बेटे की फ़ौरन ,
बूढ़े सौदागर ने मानी |
चोटी का वह सेठ कहाया ,
दूर हूई उसकी हैरानी |
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