-मुन्नी की हैरानी -
बाबू बनकर मुन्नी बैठी ,
ऐनक लगा शान में ऐंठी |
गुड़िया को झट लगी पढ़ाने ,
रोब मास्टरी का दिखलाने |
तब तक उसकी अम्मा आई ,
लीला देख बहुत झल्लाई |
हाथ पकड़ कर पीटा उसको ,
खींचा और घसीटा उसको |
लेकिन मुन्नी समझ न पाई ,
क्यों इतना अम्मा झल्लाई |
बोली आँखों में भर पानी ,
बाबू जी करते शैतानी |
ऐनक रोज लगाते हैं वे ,
मुझको रोज पढ़ाते हैं वे |
उनको कभी न कुछ कहती हो ,
देख देख भी चुप रहती हो |
मुझको ही क्यों पीटा पकड़ा ,
लेकर एक बड़ा सा लकड़ा |
सुन बेटी की बातें भोली ,
माँ की बुझी क्रोध की होली |
प्यार किया चुमकारा उसको ,
कभी नहीं फिर मारा उसको |
बाबू बनकर मुन्नी बैठी ,
ऐनक लगा शान में ऐंठी |
गुड़िया को झट लगी पढ़ाने ,
रोब मास्टरी का दिखलाने |
तब तक उसकी अम्मा आई ,
लीला देख बहुत झल्लाई |
हाथ पकड़ कर पीटा उसको ,
खींचा और घसीटा उसको |
लेकिन मुन्नी समझ न पाई ,
क्यों इतना अम्मा झल्लाई |
बोली आँखों में भर पानी ,
बाबू जी करते शैतानी |
ऐनक रोज लगाते हैं वे ,
मुझको रोज पढ़ाते हैं वे |
उनको कभी न कुछ कहती हो ,
देख देख भी चुप रहती हो |
मुझको ही क्यों पीटा पकड़ा ,
लेकर एक बड़ा सा लकड़ा |
सुन बेटी की बातें भोली ,
माँ की बुझी क्रोध की होली |
प्यार किया चुमकारा उसको ,
कभी नहीं फिर मारा उसको |
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