- सीखो -
फूलों से नित हँसना सीखो ,
भौंरों से नित गाना |
तरु की झुकी डालियों से ,
नित सीखो शीश झुकाना ||
सीख हवा के झोंकों से लो हिलना जगत हिलाना |
दूध तथा पानी से सीखो मिलना और मिलाना ||
सूरज की किरणों से सीखो जगना और जगाना |
लता तथा पेड़ों से सीखो सब को गले लगाना ||
वर्षा की बूंदों से सीखो सब से प्रेम बढ़ाना |
मेंहदी से सीखो सब ही पर अपना रँग चढ़ाना ||
मछली से सीखो स्वदेश के लिये तड़पकर मरना |
पतझड़ के पेड़ों से सीखो दुःख में धीरज धरना ||
दीपक से सीखो जितना हो सके अँधेरा हरना |
पृथ्वी से सीखो प्राणी की सच्ची सेवा करना ||
जलधारा से सीखो आगे जीवन पथ में बढ़ना |
और धुएं से सीखो हरदम ऊँचे ही पर चढ़ना ||
सत्पुरुषों के जीवन से सीखो चरित्र निज गढ़ना |
तथा प्रेम से सीखो बच्चों ! इन पद्यों का पढना ||
फूलों से नित हँसना सीखो ,
भौंरों से नित गाना |
तरु की झुकी डालियों से ,
नित सीखो शीश झुकाना ||
सीख हवा के झोंकों से लो हिलना जगत हिलाना |
दूध तथा पानी से सीखो मिलना और मिलाना ||
सूरज की किरणों से सीखो जगना और जगाना |
लता तथा पेड़ों से सीखो सब को गले लगाना ||
वर्षा की बूंदों से सीखो सब से प्रेम बढ़ाना |
मेंहदी से सीखो सब ही पर अपना रँग चढ़ाना ||
मछली से सीखो स्वदेश के लिये तड़पकर मरना |
पतझड़ के पेड़ों से सीखो दुःख में धीरज धरना ||
दीपक से सीखो जितना हो सके अँधेरा हरना |
पृथ्वी से सीखो प्राणी की सच्ची सेवा करना ||
जलधारा से सीखो आगे जीवन पथ में बढ़ना |
और धुएं से सीखो हरदम ऊँचे ही पर चढ़ना ||
सत्पुरुषों के जीवन से सीखो चरित्र निज गढ़ना |
तथा प्रेम से सीखो बच्चों ! इन पद्यों का पढना ||
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