- बढ़े चलो -
फूल बिछे हों या कांटे हों ,
राह न अपनी छोड़ो तुम |
चाहे जो विपदायें आयें ,
मुख को जरा न मोड़ो तुम |
साथ रहें या रहें न साथी ,
हिम्मत मगर न छोड़ो तुम |
नहीं कृपा की भिक्छा मांगो ,
कर न दीन बन जोड़ो तुम |
बस ईश्वर पर रखो भरोसा ,
पाठ प्रेम का पढ़े चलो |
जब तक जान बनी हो तन में ,
तब तक आगे बढ़े चलो |
फूल बिछे हों या कांटे हों ,
राह न अपनी छोड़ो तुम |
चाहे जो विपदायें आयें ,
मुख को जरा न मोड़ो तुम |
साथ रहें या रहें न साथी ,
हिम्मत मगर न छोड़ो तुम |
नहीं कृपा की भिक्छा मांगो ,
कर न दीन बन जोड़ो तुम |
बस ईश्वर पर रखो भरोसा ,
पाठ प्रेम का पढ़े चलो |
जब तक जान बनी हो तन में ,
तब तक आगे बढ़े चलो |
0 comments:
Post a Comment