- कहो मत, करो -
सूरज कहता नहीं किसी से ,
मैं प्रकाश फैलाता हूँ ।
बादल कहता नहीं किसी से ,
मैं पानी बरसाता हूँ ।
आंधी कहती नहीं किसी से ,
मैं आफत ढा लेती हूँ ।
कोयल कहती नहीं किसी से ,
मैं अच्छा गा लेती हूँ ।
बातों से न , किन्तु कामों से ,
होती है सबकी पहचान ।
घूरे पर भी नाच दिखा कर ,
मोर झटक लेता है मान ।
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