नारायन अपने माँ बाप का अकेला लड़का था |इसी लिये वह माँ बाप को प्यारा भी बहुत था |वह दिन भर बाग में खेलता था , पौधों को खराब करता था , पर कोई मना करता था तो रोने लगता था |एक दिन वह बाग में खड़ा रो रहा था |जब उसे रोते रोते बहुत देर हो गई तो उसे एक बूढ़ा आदमी दिखाई पड़ा |उस आदमी ने पूछा -"बेटा ! क्यों रोते हो ? " नारायन बोला -"यह जो अमरुद का पेड़ है मैं इसकी सब पत्तियों को तोड़ डालना चाहता हूँ ,
पर माली तोड़ने नहीं देता ?"
पर माली तोड़ने नहीं देता ?"
यह सुन कर बूढ़ा बोला -"माली तो अच्छा ही करता है | भला पत्तियाँ तोड़ कर क्या पाओगे ?" नारायन ने कहा -"जब पत्तियाँ न रहेंगी तो अमरुद के फलों में खूब धूप लगेगी | इससे वे जल्दी पक जायेंगे |इसलिये |" बूढ़ा बोला -"तब फलों को चिड़ियाँ खा जाएँगी |"यह सुनकर नरायन कुछ न बोला और रोता ही रहा |तब बूढ़े ने कहा -"अच्छा , तुम इसके सिवाय और क्या चाहते हो ?"नरायन ने कहा --मैं चाहता हूँ कि मेरे मन में जो आये मैं वही बन जाऊं |" यह सुन कर बूढ़े ने नरायन को एक फूल दिया और कहा इसे सूँघ तुम जो चाहोगे वही बन जाओगे | लेकिन यदि तुम अपनी माँ के पैर छू लोगे तो फिर जैसे हो वैसे ही हो जाओगे | इसके बाद बूढ़ा गायब होगया |
बूढ़े के गायब हो जाने के बाद नरायन ने सोचा कि मैं गोभी बन जाऊं तो अच्छा है | माली मुझे पहचान न सकेगा और मैं उसे खूब परेशान करूँगा | बस वह फूल सूंघ कर गोभी बन गया | उसके हाथ पाँव सर आँखें सब गायब हो
गये | जहा गोभी के पेड़ लगे थे वहीँ जाकर वह खड़ा होगया | उसी समय माली उधर आ निकला | नरायन को देख कर उसने समझा की यह सब गोभियों से कोई अच्छी गोभी है | बस माली एक ओर चला गया | माली के जाते ही नरायन बाग मै उत्पात मचने लगा |
उसने कहीं जमीन खोद डाली , कहीं गमले तोड़ और कहीं पौधे उखाड़ डाले | इत्तिफाक से माली घूमता घामता फिर आगया | उससे देखकर नरायन गोभियों में जामिलने के लिये भागा | माली ने देखा कि एक गोभी का पेड दौड़ा जा रहा है | यह अनहोनी बात देख कर वह कुछ डरा | धीरे धीरे वह गोभियों के पास गया और नरायन को पकड़ना चाहा | नरायन फिर भागा और चिल्लाया | इस बार गोभी को आदमी की तरह भागते और चिल्लाते देख कर माली इतना डर गया कि वह बाग ही छोड़कर भाग गया | माली को डर कर भागते देख नरायन ने सोचा की अब गाँव में चल कर जो मिले उसी को डराना चहिये | बस वह गाँव की ओर चल पड़ा | इधर उधर दौड़ने लगा | लड़के लडकियाँ उसको देख कर छिपने लगे | कुत्ते भौंकने लगे और बूढ़े जवान सब उसको भूत समझ कर मारने चले |सारे गाँव में हल्ला मच गया कि गोभी आदमी की तरह चलती है और बोलती है |मालूम नहीं क्या होने वाला है जिसकी यह सूचना है |दौड़ते दौड़ते नरायन जब थक गया तो वह भाग कर गाँव के बाहर चला गया |जाड़े का मौसम था |धूप ही में पड़ रहा और सोने लगा |
इधर नरायन सो रहा था उधर उसके माँ बाप उसके लिये दुखी होने लगे |माली ने दिन डूबते डूबते आकर कहा कि अब वह बाग की रखवाली नहीं कर सकता क्योंकि वहाँ गोभी आदमी की तरह चलती हैं और आदमी की बोली बोलती है |यह सुन कर नरायन के माँ बाप अपने बेटे के विषय में सोचने लगे |उन्होंने सारे गाँव में ढूँढ़ डाला पर नरायन का कहीं भी पता न चला |तब बेचारे रोते पीटते लाचार होकर अपने घर लौट आये |जहाँ , नरायन सो रहा था ,वहीँ कुछ मजदूर खेत में काम करके शाम को आये |वे आग जला कर रोटी बनाने की तैयारी करने लगे |एक मजदूर ने नरायन को देखा तो समझा कि गोभी पड़ी है |वह उसे उठाकर ले आया और धोने के लिये छोड़ दिया इससे नरायन की नींद खुल गई और वह घर की ओर दौड़ पड़ा |यह सब देखकर मजदूर भी डर गए |जब नरायन घर में घुसा तब उसने देखा कि उसकी माता रो रही थी ,नरायन को देखकर उसने समझा कि वही गोभी घर में आ गई है |वह एक ओर को भागी |तब नरायन बोला "माँ ! माँ मैं हूँ |"अपने बेटे की बोली पहचान कर माँ खड़ी हो गयी |नरायन ने जाकर उसके पांव छुए | बस वह फिर पहले का सा नरायन हो गया और गोभी गायब हो गयी |माँ ने देखा कि नरायन सिर से पैर तक भीगा है |उसने उसके कपड़े बदले और इस प्रकार दिन भर गायब रहने का कारण पूछा |नरायन ने सारी कथा सुनाई| उस दिन रात भर यही चर्चा होती रही | कहते हैं फिर नरायन ने कभी शरारत नहीं की |क्योंकि उसे मालूम था कि जो लड़का शरारत करता है और दूसरों को सताता है वह खुद भी दुखी होता है |
(शिशु से )
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