तारे
कैसे चमक रहे हैं तारे ,
आसमान तो लख अम्मा रे |
मानो हों ऑंखें तेरी ही ,
लखती हों सूरत मेरी ही|
अगर कहीं ये शोर मचावें |
तो न रात हम सोने पावें |
हैं चुपचाप काम निज करते ,
लेकिन नहीं किसी से डरते |
पर जब लड़के पढ़ने जाते
बहुत बहुत वे शोर मचाते |
हार मास्टर भी जाता है ,
हल्ला पर न दबा पाता है |
बिना मास्टर और बिना डर
रहें शांति से सुन्दर तारे|
शिशु की सुन ये बातें भोली
हंस करके माता यों बोली|
जो लड़के यह समझें लल्ला
तो न मदरसे में हो हल्ला |
कैसे चमक रहे हैं तारे ,
आसमान तो लख अम्मा रे |
मानो हों ऑंखें तेरी ही ,
लखती हों सूरत मेरी ही|
अगर कहीं ये शोर मचावें |
तो न रात हम सोने पावें |
हैं चुपचाप काम निज करते ,
लेकिन नहीं किसी से डरते |
पर जब लड़के पढ़ने जाते
बहुत बहुत वे शोर मचाते |
हार मास्टर भी जाता है ,
हल्ला पर न दबा पाता है |
बिना मास्टर और बिना डर
रहें शांति से सुन्दर तारे|
शिशु की सुन ये बातें भोली
हंस करके माता यों बोली|
जो लड़के यह समझें लल्ला
तो न मदरसे में हो हल्ला |
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