-बड़ा होने पर-
होऊंगा जब जरा बड़ा मैं |यों न रहूँगा कहीं खड़ा मैं ||
खोलूँगा मैं एक दुकान |उसमे होगा सब सामान ||
गेंदे गुड़ियाँ तीर तिपाई |मीठे मेवे और मिठाई ||
खेलूँगा औ , खाऊँगा मैं |हरगिज नहीं अघाऊंगा मैं ||
या होऊंगा सिर्फ हंसोड़ |सारे कामों से मुहं मोड़ ||
मुँह में मलकर कागज काला |पहन घास पत्तों की माला ||
रस्ते में गिर जाऊँगा मैं |सब को खूब हसाऊँगा मैं ||
या हौऊंगा ठेकेदार |नये नये बनवा घर द्वार ||
उनमें पलंग बिछाऊँगा मैं |सोऊंगा सुख पाऊँगा मैं |
या हौऊंगा मैं सरदार |लेकर तुपक ढाल तलवार ||
निकलूंगा घोड़े पर चढ़ कर|किसी फ़ौज के आगे बढ़कर||
सम्मुख जिसको पाऊँगा मैं |उस पर तुपक चलाऊँगा मैं ||
पर जब थक जाऊँगा खूब |अथवा बड़ी लगेगी ऊब ||
तब कैसे मन बहलाऊँगा ?माँ की गोद कहाँ पाऊँगा ||
-फूल तुम्हारा मुस्काना -
मुझे बहुत अच्छा लगता है ,
फूल तुम्हारा मुस्काना |
मुझे बहुत अच्छा लगता है ,
फूल तुम्हारा गुण गाना |
कड़ी धूप में देखा मैंने ,
फूल तुम्हारा कुम्हलाना |
ओस पड़ी तब समझा यह है ,
आँखों में आँसू लाना |
पर यह छिन भर को होता है ,
दिन भर रहता मुस्काना |
कट जाने पर लुट जाने पर ,
भी हँसते हो मनमाना |
अच्छे कामों की सुगन्धि से ,
मुझको जग है महकाना |
मदद मिलेगी अगर सीख लूँ ,
फूल तुम्हारा मुस्काना |
होऊंगा जब जरा बड़ा मैं |यों न रहूँगा कहीं खड़ा मैं ||
खोलूँगा मैं एक दुकान |उसमे होगा सब सामान ||
गेंदे गुड़ियाँ तीर तिपाई |मीठे मेवे और मिठाई ||
खेलूँगा औ , खाऊँगा मैं |हरगिज नहीं अघाऊंगा मैं ||
या होऊंगा सिर्फ हंसोड़ |सारे कामों से मुहं मोड़ ||
मुँह में मलकर कागज काला |पहन घास पत्तों की माला ||
रस्ते में गिर जाऊँगा मैं |सब को खूब हसाऊँगा मैं ||
या हौऊंगा ठेकेदार |नये नये बनवा घर द्वार ||
उनमें पलंग बिछाऊँगा मैं |सोऊंगा सुख पाऊँगा मैं |
या हौऊंगा मैं सरदार |लेकर तुपक ढाल तलवार ||
निकलूंगा घोड़े पर चढ़ कर|किसी फ़ौज के आगे बढ़कर||
सम्मुख जिसको पाऊँगा मैं |उस पर तुपक चलाऊँगा मैं ||
पर जब थक जाऊँगा खूब |अथवा बड़ी लगेगी ऊब ||
तब कैसे मन बहलाऊँगा ?माँ की गोद कहाँ पाऊँगा ||
-फूल तुम्हारा मुस्काना -
मुझे बहुत अच्छा लगता है ,
फूल तुम्हारा मुस्काना |
मुझे बहुत अच्छा लगता है ,
फूल तुम्हारा गुण गाना |
कड़ी धूप में देखा मैंने ,
फूल तुम्हारा कुम्हलाना |
ओस पड़ी तब समझा यह है ,
आँखों में आँसू लाना |
पर यह छिन भर को होता है ,
दिन भर रहता मुस्काना |
कट जाने पर लुट जाने पर ,
भी हँसते हो मनमाना |
अच्छे कामों की सुगन्धि से ,
मुझको जग है महकाना |
मदद मिलेगी अगर सीख लूँ ,
फूल तुम्हारा मुस्काना |
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