-बालक की कामना -
मैं स्वतंत्र भारत का वासी
काम करूँगा सदा वही
जिससे सम्मानित हो जग में
यह ऋषियों की पुण्य महि |
मन में तो है यही गाँव में ,
बसूँ करूँ मैं गोपालन |
दूध दही की गंगा उमड़े ,
हृष्ट पुष्ट हों भारत जन |
और अन्न उपजाऊं इतना ,
इतनी पैदा करूँ कपास |
कोई रहे न भूखा दूखा ,
कोई रहे न बिना लिबास |
काम पड़े तो बसूँ शहर में ,
सीखूं विविध कला कौशल|
बना बना गांवों में भेजूं ,
नये यंत्र औ नूतन हल |
सरकारी नौकरी करूँ तो ,
करूँ घूस की आस नहीं |
अनाचार या चोर बजारी ,
के मैं जाऊं पास नहीं |
काम सभी मैं सीखूं , सीखूं
अस्त्र शस्त्र संचालन भी |
भारत की सेवा में कर दूँ ,
अर्पण तन मन प्राण सभी ||
मैं स्वतंत्र भारत का वासी
काम करूँगा सदा वही
जिससे सम्मानित हो जग में
यह ऋषियों की पुण्य महि |
मन में तो है यही गाँव में ,
बसूँ करूँ मैं गोपालन |
दूध दही की गंगा उमड़े ,
हृष्ट पुष्ट हों भारत जन |
और अन्न उपजाऊं इतना ,
इतनी पैदा करूँ कपास |
कोई रहे न भूखा दूखा ,
कोई रहे न बिना लिबास |
काम पड़े तो बसूँ शहर में ,
सीखूं विविध कला कौशल|
बना बना गांवों में भेजूं ,
नये यंत्र औ नूतन हल |
सरकारी नौकरी करूँ तो ,
करूँ घूस की आस नहीं |
अनाचार या चोर बजारी ,
के मैं जाऊं पास नहीं |
काम सभी मैं सीखूं , सीखूं
अस्त्र शस्त्र संचालन भी |
भारत की सेवा में कर दूँ ,
अर्पण तन मन प्राण सभी ||
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