-मैं कौन हूँ -
शक्ति राम की है मुझमें भी ,
घूमे जो निर्जन वन में |
भक्ति श्याम की है मुझमें भी,
सदा हँसे जो जीवन में |
जिसकी प्रेम दया की शिक्षा ,
से जागी वसुधा सारी |
गौतम के उस उच्च ह्रदय का ,
मैं हूँ पूरा अधिकारी |
पर्वत ,बन ,बिजली ,बादल ,नद ,
सूरज ,चाँद और तारे |
बचपन से ही देखा मैंने ,
हैं मेरे साथी सारे |
जहाँ कहो मैं वहां चलूँगा ,
जरा नहीं डर सकता हूँ |
इक्छा करने की देरी है ,
मैं सब कुछ कर सकता हूँ |
शक्ति राम की है मुझमें भी ,
घूमे जो निर्जन वन में |
भक्ति श्याम की है मुझमें भी,
सदा हँसे जो जीवन में |
जिसकी प्रेम दया की शिक्षा ,
से जागी वसुधा सारी |
गौतम के उस उच्च ह्रदय का ,
मैं हूँ पूरा अधिकारी |
पर्वत ,बन ,बिजली ,बादल ,नद ,
सूरज ,चाँद और तारे |
बचपन से ही देखा मैंने ,
हैं मेरे साथी सारे |
जहाँ कहो मैं वहां चलूँगा ,
जरा नहीं डर सकता हूँ |
इक्छा करने की देरी है ,
मैं सब कुछ कर सकता हूँ |
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