- जुड़वाँ की मुसीबत -
एक साथ जन्मे हम दोनों ,
मैं औ मेरा भाई |
किन्तु शकल सूरत मिलने से ,
बेहद आफत आई |
मैं हूँ कौन ? कौन है भैया ?
समझ न कोई पाता ,
जाता यदि वह नहीं मदरसे ,
तो मैं ही पिट जाता |
भाई का ले नाम मुझे थे ,
घर के लोग बुलाते |
पड़ता वह बीमार - दवाई
लेकिन मुझे पिलाते |
धोखे में आ मात पिता ने ,
भी की भूल घनेरी |
भाई से ब्याहा उसको ,
जो होती दुलहिन मेरी |
क्या बतलाऊँ मुसीबतें ,
क्या पड़ीं शीश पर पटपट ,
भाई जब मर गया मुझी को ,
लोग ले गए मरघट |
एक साथ जन्मे हम दोनों ,
मैं औ मेरा भाई |
किन्तु शकल सूरत मिलने से ,
बेहद आफत आई |
मैं हूँ कौन ? कौन है भैया ?
समझ न कोई पाता ,
जाता यदि वह नहीं मदरसे ,
तो मैं ही पिट जाता |
भाई का ले नाम मुझे थे ,
घर के लोग बुलाते |
पड़ता वह बीमार - दवाई
लेकिन मुझे पिलाते |
धोखे में आ मात पिता ने ,
भी की भूल घनेरी |
भाई से ब्याहा उसको ,
जो होती दुलहिन मेरी |
क्या बतलाऊँ मुसीबतें ,
क्या पड़ीं शीश पर पटपट ,
भाई जब मर गया मुझी को ,
लोग ले गए मरघट |
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