-नानी का सन्दूक-
नानी का सन्दूक निराला ,
हुआ धुएं से बेहद काला |
पीछे से वह खुल जाता है ,
आगे लटका रहता ताला |
चन्दन चौकी देखी उसमें ,
बेसन लौकी देखी उसमें | बाली जौ की देखी उसमें ,
खाली जगहों में है ताला,
नानी का सन्दूक निराला |
शीशी में गंगा जल उसमें,
चींटी झींगुर खटमल उसमें |
ताम्र पत्र तुलसी दल उसमें ,
जगन्नाथ का भात उबाला |
नानी का सन्दूक निराला |
मिलता उसमें कागज कोरा ,
मिलती उसमें सूई व डोरा |
मिलता उसमें सीप कटोरा,
मिलती उसमें कौड़ी माला |
नानी का सन्दूक निराला
जब लड़कों को खाँसी आती ,
आती उसमें निकल दवाई |
कभी ढूँढने से मिल जाता ,
पेड़ा , बर्फी ,गट्टा लाई |
जो कुछ खाकर मरना चाहे ,
ढूंढे उसमें जहर धतूरा |
डर है चोर न उसे चुरा लें ,
समझो उसे म्यूजियम पूरा |
उसको छोड़ न लेगी नानी ,
दिल्ली का सिंहासन आला |
नानी का सन्दूक निराला |
नानी का सन्दूक निराला ,
हुआ धुएं से बेहद काला |
पीछे से वह खुल जाता है ,
आगे लटका रहता ताला |
चन्दन चौकी देखी उसमें ,
बेसन लौकी देखी उसमें | बाली जौ की देखी उसमें ,
खाली जगहों में है ताला,
नानी का सन्दूक निराला |
शीशी में गंगा जल उसमें,
चींटी झींगुर खटमल उसमें |
ताम्र पत्र तुलसी दल उसमें ,
जगन्नाथ का भात उबाला |
नानी का सन्दूक निराला |
मिलता उसमें कागज कोरा ,
मिलती उसमें सूई व डोरा |
मिलता उसमें सीप कटोरा,
मिलती उसमें कौड़ी माला |
नानी का सन्दूक निराला
जब लड़कों को खाँसी आती ,
आती उसमें निकल दवाई |
कभी ढूँढने से मिल जाता ,
पेड़ा , बर्फी ,गट्टा लाई |
जो कुछ खाकर मरना चाहे ,
ढूंढे उसमें जहर धतूरा |
डर है चोर न उसे चुरा लें ,
समझो उसे म्यूजियम पूरा |
उसको छोड़ न लेगी नानी ,
दिल्ली का सिंहासन आला |
नानी का सन्दूक निराला |
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