-संसार किसका है-
जिसने बात न की तारों से ,
जब रहती है दुनिया सोती|
जिसने प्रातः काल न देखा,
हरी घास पर बिखरे मोती |
घटा घनों की , छटा वनों की ,
जिसने चित्त से दिया उतार |
उसके लिये अँधेरा जग है ,
उसकी ऑंखें हैं बेकार |
छोटे से छोटे प्राणी का घर ,
जिसने देखा भाला |
भेदभाव से भरा नहीं जो ,
प्रिय न जिसे कुंजी ताला |
फूलों सा जो हँसता हरदम ,
क्यों न आ पड़े विपत हजार |
वह इस दुनियां का राजा है,
उसका ही है यह संसार |
जिसने बात न की तारों से ,
जब रहती है दुनिया सोती|
जिसने प्रातः काल न देखा,
हरी घास पर बिखरे मोती |
घटा घनों की , छटा वनों की ,
जिसने चित्त से दिया उतार |
उसके लिये अँधेरा जग है ,
उसकी ऑंखें हैं बेकार |
छोटे से छोटे प्राणी का घर ,
जिसने देखा भाला |
भेदभाव से भरा नहीं जो ,
प्रिय न जिसे कुंजी ताला |
फूलों सा जो हँसता हरदम ,
क्यों न आ पड़े विपत हजार |
वह इस दुनियां का राजा है,
उसका ही है यह संसार |
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