-वीर प्रतिज्ञा -
चाह कुछ सुख की नहीं ,
दुःख की नहीं परवाह है |
प्रिय देश के कल्याण की ,
हमने गहि अब राह है |
हों क्यों न अंगारे बिछे ,
मुँह जरा मोंड़ेगे नहीं |
मिट जायेंगे पर देश का ,
अभिमान छोड़ेंगे नहीं |
खाली भले ही पेट हो ,
नंगी भले ही देह हो |
सौ आफतें हों सामने ,
उजड़ा भले ही गेह हो |
हो देश की जय ,भय नहीं ,
हमको जरा है क्लेश का |
बाजी लगा कर प्राण की ,
हम साथ देंगे देश का |
चाह कुछ सुख की नहीं ,
दुःख की नहीं परवाह है |
प्रिय देश के कल्याण की ,
हमने गहि अब राह है |
हों क्यों न अंगारे बिछे ,
मुँह जरा मोंड़ेगे नहीं |
मिट जायेंगे पर देश का ,
अभिमान छोड़ेंगे नहीं |
खाली भले ही पेट हो ,
नंगी भले ही देह हो |
सौ आफतें हों सामने ,
उजड़ा भले ही गेह हो |
हो देश की जय ,भय नहीं ,
हमको जरा है क्लेश का |
बाजी लगा कर प्राण की ,
हम साथ देंगे देश का |
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