-चूहे चार -
बिल में बैठे चूहे चार ,
चुपके चुपके करें विचार |
बाहर आएँ जाएँ कैसे ?
अपनी जान बचाएं कैसे?
बिल के बाहर बिल्ली रानी ,
बैठी बिन दाना ,बिन पानी |
रह रह बोले म्याऊँ म्याऊँ ,
चूहे निकलें तो मैं खाऊँ |
दिन बीता फिर आई शाम ,
लोग लगे करने आराम |
चूहे रहे समाए बिल में ,
जान पड़ी उनकी मुश्किल में |
बिल्ली कहती म्याऊँ म्याऊँ ,
चूहे निकलें तो मैं खाऊँ |
चूहे कहते चूँ चूँ चूँ चूँ ,
बिल्ली को हम चकमा दें क्यूँ ?
सूझा एक उपाय उन्हें तब ,
मुरदा बन करके निकले सब |
बाहर कर अपनी अपनी दुम ,
चारों निकले बन कर गुमसुम |
बिल्ली ने झट पकड़ा उनको ,
लेकिन पाया अकड़ा उनको |
बोली - मरे न खाऊँगी मैं ,
और कहीं अब जाऊँगी मैं |
चली वहाँ से गई बिलैया ,
लगे खेलने चारों भैया |
किया दूर तक सैर सपाटा ,
जो पाया सो कुतरा काटा |
बिल में बैठे चूहे चार ,
चुपके चुपके करें विचार |
बाहर आएँ जाएँ कैसे ?
अपनी जान बचाएं कैसे?
बिल के बाहर बिल्ली रानी ,
बैठी बिन दाना ,बिन पानी |
रह रह बोले म्याऊँ म्याऊँ ,
चूहे निकलें तो मैं खाऊँ |
दिन बीता फिर आई शाम ,
लोग लगे करने आराम |
चूहे रहे समाए बिल में ,
जान पड़ी उनकी मुश्किल में |
बिल्ली कहती म्याऊँ म्याऊँ ,
चूहे निकलें तो मैं खाऊँ |
चूहे कहते चूँ चूँ चूँ चूँ ,
बिल्ली को हम चकमा दें क्यूँ ?
सूझा एक उपाय उन्हें तब ,
मुरदा बन करके निकले सब |
बाहर कर अपनी अपनी दुम ,
चारों निकले बन कर गुमसुम |
बिल्ली ने झट पकड़ा उनको ,
लेकिन पाया अकड़ा उनको |
बोली - मरे न खाऊँगी मैं ,
और कहीं अब जाऊँगी मैं |
चली वहाँ से गई बिलैया ,
लगे खेलने चारों भैया |
किया दूर तक सैर सपाटा ,
जो पाया सो कुतरा काटा |
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