मंगवा छाता
डाली डाली-की हरियाली
का न रहा वह साज|
विकल बड़ी है,
गिरी पड़ी है ,
सूखी पत्ती आज ||
मोटे कपड़े तन को जकड़े,
करतें हैं हैरान |
जरा न भाते ,अति गरमाते ,
खाये लेते जान ||
राह बड़ी है धूप कड़ी है ,
उड़ती है अति धूल |
जल्दी माता ,मंगवा छाता ,
जाना मुझको स्कूल ||
डाली डाली-की हरियाली
का न रहा वह साज|
विकल बड़ी है,
गिरी पड़ी है ,
सूखी पत्ती आज ||
मोटे कपड़े तन को जकड़े,
करतें हैं हैरान |
जरा न भाते ,अति गरमाते ,
खाये लेते जान ||
राह बड़ी है धूप कड़ी है ,
उड़ती है अति धूल |
जल्दी माता ,मंगवा छाता ,
जाना मुझको स्कूल ||
0 comments:
Post a Comment