खिलौना
एक खिलौना घर से इकला,
सैर जगत की करने निकला|
छाया मिली उसे चमकाया,
देखा दुःख - उसे छलकाया|
मिली उदासी ,उसको खोला,
उसमे थोड़ा मीठा घोला |
क्रोधी मिला,उसे दिखलाया,
जो था उसमे दोष समाया |
भेंट किया रोते नैनों से,
भरा उन्हें सुख के सैनों से|
देख दुखी मुख ,उसमें छोड़ा,
मीठा एक हंसी का रोड़ा |
कोई दुखिया मिला अकेला,
साथ उसी के छण भर खेला|
बड़े बड़े कामों का निकला,
चला खिलौना जो था इकला|
एक खिलौना घर से इकला,
सैर जगत की करने निकला|
छाया मिली उसे चमकाया,
देखा दुःख - उसे छलकाया|
मिली उदासी ,उसको खोला,
उसमे थोड़ा मीठा घोला |
क्रोधी मिला,उसे दिखलाया,
जो था उसमे दोष समाया |
भेंट किया रोते नैनों से,
भरा उन्हें सुख के सैनों से|
देख दुखी मुख ,उसमें छोड़ा,
मीठा एक हंसी का रोड़ा |
कोई दुखिया मिला अकेला,
साथ उसी के छण भर खेला|
बड़े बड़े कामों का निकला,
चला खिलौना जो था इकला|
0 comments:
Post a Comment