-गर्मी के मजे -
गर्मी के हैं मजे निराले ,
लगे पाठशालों में ताले |
नहीं गुरूजी का अब डर है ,
खेल हो रहा पानी पर है |
घंटो रोज नहाते हैं अब,
छाया में सुख पाते हैं अब |
खाते खुश हो बरफ मलाई ,
पीते शरबत और ठंडाई |
है बहार आमों की आई ,
तरबूजों की हूई चढ़ाई |
गली गली बिकता खरबूजा ,
छिपा पसीने में भड़भूजा |
पग पग पर दूल्हे सजते हैं ,
होते ब्याह बैंड बजते हैं |
नित्य नई हम दावत पाते ,
दलबल से हैं खाने जाते |
कभी कभी आँधी आती है ,
धूल गगन में छा जाती है |
झरझर झरझर ,सरसर सरसर ,
पेड़ उखड़ते उड़ते झप्पर |
आधी रात फूलता बेला ,
तारों का लग जाता मेला |
सुख से तब दुनियाँ सोती है,
सपनो की वर्षा होती है |
गर्मी है इतनी सुखकारी ,
हाँ पर एक ऐब है भारी |
लंका सी पृथ्वी जलती है ,
जाने यह किसकी गलती है |
गर्मी के हैं मजे निराले ,
लगे पाठशालों में ताले |
नहीं गुरूजी का अब डर है ,
खेल हो रहा पानी पर है |
घंटो रोज नहाते हैं अब,
छाया में सुख पाते हैं अब |
खाते खुश हो बरफ मलाई ,
पीते शरबत और ठंडाई |
है बहार आमों की आई ,
तरबूजों की हूई चढ़ाई |
गली गली बिकता खरबूजा ,
छिपा पसीने में भड़भूजा |
पग पग पर दूल्हे सजते हैं ,
होते ब्याह बैंड बजते हैं |
नित्य नई हम दावत पाते ,
दलबल से हैं खाने जाते |
कभी कभी आँधी आती है ,
धूल गगन में छा जाती है |
झरझर झरझर ,सरसर सरसर ,
पेड़ उखड़ते उड़ते झप्पर |
आधी रात फूलता बेला ,
तारों का लग जाता मेला |
सुख से तब दुनियाँ सोती है,
सपनो की वर्षा होती है |
गर्मी है इतनी सुखकारी ,
हाँ पर एक ऐब है भारी |
लंका सी पृथ्वी जलती है ,
जाने यह किसकी गलती है |
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